इस पॉलिसी को एलआईसी के एजेंटों से ऑफलाइन खरीदा जा सकता है. इसके अलावा आप www.licindia.in पर सीधे ऑनलाइन भी इसे खरीद सकते हैं.
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने एक नई योजना बीमा ज्योति पेश की है. यह एक गैर-संबद्ध, गैर-भागीदारी, व्यक्तिगत, बचत योजना है. बीमा ज्योति में पॉलिसीधारक को संरक्षण के साथ बचत का विकल्प भी मिल रहा है. एलआईसी की बीमा ज्योति के तहत परिपक्वता पर एकमुश्त भुगतान मिलेगा. इसके साथ ही पॉलिसीधारक के असमय निधन की स्थिति में उनके परिजनों को वित्तीय मदद भी मिलेगा.
रीइंश्योरेंस कंपनियों के रेट जीवन प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी पर आधारित होते हैं. यह एक लंबी अवधि का ट्रेंड होता है.
शायद ही ध्यान कैंसर इंश्योरेंस की तरफ जाता है. ज्यादातर लोगों के पोर्टफोलियो यह महत्वपूर्ण पॉलिसी शामिल नहीं होती है.
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी परिवार को आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराती है. किसी हादसे में पॉलिसीधारक को कुछ हो जाने की स्थिति में यह परिवार को सहारा देती है. लेकिन, अक्सर इसे गलत कारणों से खरीदा जाता है. आइए, यहां ऐसे ही कुछ कारणों के बारे में जानते हैं.
इरडा ने जीआईसी आरई, लॉयड्स (इंडिया) और एफआरबी (विदेशी री-इंश्योरेंस ब्रांच) को छोड़कर सभी बीमा कंपनियों को एक सर्कुलर जारी किया है. इसमें कहा कि डिजिलॉकर लागत में कटौती करेगा.
पॉलिसी 2 लाख रुपये से लेकर 3 करोड़ रुपये तक के सम इंश्योर्ड के साथ आती है. इसमें कैशलेस फैसिलिटी उपलब्ध है. क्लेम की प्रक्रिया सरल रखी गई है.
कोविड-19 के कारण लोगों को मेडिक्लेम पॉलिसी की अहमियत का एहसास हुआ है. उन्हें पता चला है कि कैसे बड़े मेडिकल खर्चों से निपटने में यह मददगार होती है.
आरटीआई के जवाब में इरडा ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान देशभर में तमाम ओंबड्समैन ने बीमा कंपनियों के खिलाफ 9,528 आदेश दिए.
वित्त वर्ष 2018-19 में एलआईसी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 97.7 फीसदी था. वित्त वर्ष 2019-20 में यह घटकर 96.6 फीसदी पर आ गया.
बजट 2021 में मोदी सरकार ने बीमा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया है. इस वजह से अब बीमा कारोबार में विदेशी कंपनियों की पहुंच बढ़ेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से देश में बीमा की पहुंच बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई की सीमा बढ़ाने के फैसले की उद्योग जगत लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहा था.
इंश्योरेंस पॉलिसियों के प्रीमियम का पेमेंट करने के लिए रिमाइंडर सेट कर लेना अच्छा होता है. अगर प्रीमियम का भुगतान ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद भी नहीं होता है तो पॉलिसी लैप्स हो जाती है. इससे पॉलिसी के बेनिफिट नहीं मिलते हैं. हालांकि, आप लैप्स हुई पॉलिसी दोबारा चालू कर सकते हैं. इसके लिए यहां हम आपको पूरी प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं.
जानलेवा बीमारियों और स्वास्थ्य आपदाओं ने इस बात को साबित कर दिया है कि स्वास्थ रहने के तमाम प्रयासों के बावजूद खतरनाक रोग हमें अपना शिकार बना सकते हैं.
देशभर की नजरें आगामी बजट पर हैं. कोविड-19 के झटके से अर्थव्यवस्था को बाहर निकालने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण क्या-क्या तरीके निकालती हैं, यह देखना होगा. तमाम सेक्टर और उद्योग अपने-अपने लिए रियायतें चाहते हैं. इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने भी वित्त मंत्री को कुछ सुझाव दिए हैं. इनमें से एक मेडिक्लेम पॉलिसी के प्रीमियम के लिए डिडक्शन की लिमिट बढ़ाना है. इससे लोग पर्याप्त बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे. कोविड-19 के मरीजों के बिल से पता चलता है कि 10 लाख रुपये का कवर भी कम पड़ सकता है. आइए, यहां इंश्योरेंस एक्सपर्ट्स से कुछ और सुझावों के बारे में जानते हैं.
रेगुलटर के अनुसार, दोपहिया के लिए यह एक्स्ट्रा प्रीमियम 100 रुपये से 750 रुपये की रेंज में हो सकता है. कार और कमर्शियल वाहनों के लिए इसके 300 रुपये से 1,500 रुपये की रेंज में रहने के आसार हैं.
जाहिर है जब कोई नया वाहन खरीदेगा तो उसकी ट्रैफिक वॉयलेशन हिस्ट्री साफ होगी. इस तरह उसमें कोई ट्रैफिक वॉयलेशन प्रीमियम नहीं देना पड़ेगा.
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