बेटी शादीशुदा है और विदेश में रहती है इसका प्रॉपर्टी में उसके अधिकार से कोई संबंध नहीं है. पुश्तैनी प्रॉपर्टी में उसका भाइयों जितना ही अधिकार है.
जब निजी पसंदों और नापसंदों का लक्ष्यों या मासिक बजट पर असर पड़ता है तो झगड़ा बढ़ जाता है. कभी-कभार नौबत आपसी तकरार से संबंध खत्म करने तक पहुंच जाती है.
हर माता-पिता की कोशिश होती है कि वे अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं दें. इसके चलते अक्सर उनका अपना भविष्य खतरे में पड़ जाता है. वे बच्चों को अच्छे स्कूल और कॉलेज में पढ़ाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं. समर कैंप, क्रिकेट या डांस जैसी गतिविधियां सीखने के लिए अलग से खर्च करते हैं. जब उच्च शिक्षा की बात आती है तो खर्च करने में तनिक नहीं सोचते. यहां तक बच्चों की पढ़ाई पूरी कराने के लिए भारी भरकम लोन तक ले लेते हैं. वे बच्चों की शादी पर भी पैसों का बंदोबस्त करते हैं. अक्सर इन्हीं माता-पिता के सामने रिटायरमेंट सेविंग्स कम रह जाने की समस्या आती है.
जिस तरह किसी आम वसीयत में कोई शख्स मरने से पहले साफ कर देता है कि उसके न रहने पर उसकी जमीन-जायदाद इत्यादि का क्या होगा. उसी तरह लिविंग विल में वह पहले ही यह साफ कर देता है कि अगर भविष्य में उसे कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो उसे दवाओं पर जिंदा रखा जाए या नहीं.
समय की बर्बादी पैसों की बर्बादी जैसी ही है. यहां हम आपको कुछ उपयोगी टिप्स बता रहे हैं जो आपकी समय का अधिकतम इस्तेमाल करने में मदद करेंगी.
आसान शब्दों में कहें तो आप जितनी आसानी से अपने एसेट या निवेश को कैश में बदल लेते हैं, वहीं उसकी फाइनेंशियल लिक्विडिटी होती है. हर तरह के एसेट की फाइनेंशियल लिक्विडिटी अलग-अलग होती है. एसेट को कैश में बदलने की जरूरत तब पड़ती है जब आपको खर्च या निवेश करने के लिए पैसों की जरूरत होती है.
ज्यादातर पैरेंट्स की फाइनेंशियल प्लानिंग में बच्चों की शिक्षा और शादी सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक होते हैं. जिनके पास ज्यादा पैसा है, उनमें बच्चों को विरासत में कुछ और भी छोड़कर जाने की इच्छा रहती है. फिर यह प्रॉपर्टी हो सकती है या सोने-चांदी के जेवरात. यह दूसरा मील का पत्थर होता है. बच्चों के लिए घर खरीदना निजी निर्णय है. यह किसी की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है. पर, क्या यह वाकई में किसी को विरासत में कुछ छोड़ जाने का व्यावहारिक तरीका है? कहीं घर बच्चे की समस्या बढ़ा तो नहीं देता है या इससे बाद में उनके वित्तीय जीवन में आसानी होती है? आइए, जानते हैं कि बच्चे के लिए प्रॉपर्टी खरीदने के फायदे और नुकसान क्या हैं.
लक्ष्य होने से आपको पता होता है कि हर महीने आपको कितनी बचत करनी है. ये लक्ष्य कुछ भी हो सकते हैं. बच्चों की शिक्षा, उनकी शादी या रिटायरमेंट.
दीप्ति पिछले तीन महीनों से अपने पति से अलग रह रही हैं. उन्होंने तलाक का मुकदमा दाखिल किया है. इस बीच पति ने दो ज्वाइंट अकाउंट से पूरा पैसा निकाल लिया है. क्या कोई रास्ता है जिससे वह बैंक अकाउंट के पैसे का एक हिस्सा पा सकें?
फोकस्ड फंडों से बचें. डायवर्सिफाइड फंड बेहतर होते हैं. अचानक आने वाले खर्चों से निपटने के लिए इमर्जेंसी फंड बनाएं.
जिस तरह बेतरतीब घर में चीजों को खोजना मुश्किल होता है. उसी तरह रुपये-पैसे के तितरे-बितरे पोर्टफोलियो को मैनेज करने में भी दिक्कत आती है. लिहाजा, इसकी साफ-सफाई जरूरी है. बैंक अकाउंट से लेकर इंश्योरेंस पॉलिसी और निवेश तक के मामले में इसकी जरूरत पड़ती है. इसके लिए आपको कुछ आसान कदम उठाने पड़ते हैं. इसका फायदा यह होता है कि जरूरत पड़ने पर आप अपना पैसा आसानी से निकाल पाते हैं. आइए, यहां उन उपायों के बारे में जानते हैं जो इसमें मदद करते हैं.
एसेट्स को पैसा कमाना चाहिए. इसे बनाए रखना और विभाजित करना जितना आसान होना चाहिए, उतना ही सरल होना चाहिए इसे मर्जी से भुना पाना. निवेश ऐसे एसेट में करें जिसका आपको और आपके परिवार को फायदा हो.
रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है. इसके जरिये यह पता लगाते में मदद मिलती है कि रिटायरमेंट के लिए अभी आपको कितनी बचत करनी चाहिए और कहां निवेश करना चाहिए. लेकिन, यह इन पहलुओं तक ही सीमित नहीं है. इसके साथ जुड़े अन्य मसलों में चूक होने पर रिटायरमेंट की प्लानिंग पटरी से उतर सकती है. यहां हम रिटायरमेंट प्लानिंग से जुड़ी उन 4 गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचना चाहिए.
अगर छुट्टियों की पूरी लिस्ट आपके पास पहले से मौजूद हो तो काम थोड़ा आसान हो जाता है. यहां हम बता रहे हैं कि फरवरी में किस-किस दिन बैंक बंद रहेंगे.
रिटायरमेंट सेविंग्स के लिए 40 उम्र का एक अहम पड़ाव होता है. यह उम्र का ऐसा पड़ाव होता है जहां गलतियों को सुधारने की गुंजाइश कम होती है. कारण है कि इसके लिए हाथ में समय कम होता है.
कोरोना का डर हो या नहीं, आपको वसीयत लिखने का काम जरूर पूरा कर लेना चाहिए. कुछ लोग सोचते हैं कि यह काम बुढ़ापे में उम्र के अंतिम पड़ाव में करेंगे. यह सोच सही नहीं है. जानकार कहते हैं कि वसीयत लिखने का उम्र से कोई लेनादेना नहीं है. आज के जैसे अनिश्चितता के माहौल में जोखिम पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है. 21 साल का हो चुका कोई भी व्यक्ति जिसके पास धन-संपदा है और परिवार में आश्रित सदस्य हैं, उसे जल्दी से जल्दी वसीयत करनी चाहिए. वसीयत लिखते वक्त आपको कुछ सवालों के जवाब जरूर जान लेने चाहिए. यहां हम उनके बारे में बता रहे हैं.
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